शुक्रवार, 31 जनवरी 2014

दोस्त और दुश्मन



दोस्त  और दुश्मन
में फर्क
अगर नज़रों से कर सकते
तो
कितना अच्छा होता

नज़र अगर पहचान पाती
कि
कौन दोस्त है
और
कौन है दुश्मन
तो
ज़िन्दगी कितनी आसान हो जाती
दोस्त से अच्छी दोस्ती निभाते
और
दुश्मन से अच्छी दुश्मनी
दुश्मन को
ज़िन्दगी से ऐसे निकालते
जैसे हो
दूध में कोई मक्खी

नज़रों के इस डर से
दोस्त हमेशा दोस्त ही बने रहते
और
दुश्मन कभी सामने आ ही  नहीं पाते 
दिल की  चाहत


यदि आप चाहें दिल से
तो
कुछ भी पा सकते हैं

चाहें अगर
तो
चाँद तारे भी तोड़ के ला सकते हैं
चाँद तारे तो क्या हैं
आसमान भी
ज़मीन पे ला सकते हैं

चाहिए बस दिल की चाहत
न मिल पाने पर
दिल होता हो आहत

दिल की  मुराद पाने के लिए
हौसला तो करना ही होगा
ज़िन्दगी में जीतने के लिए
हारना तो छोड़ना ही होगा
कुछ बड़ा पाने के लिए
कुछ बड़ा खोना ही होगा


  

गुरुवार, 2 जनवरी 2014

इंसान और हैवान



इन्सान
सरहद के इस पार भी हैं 
इन्सान 
सरहद के उस पार भी हैं 
इन्सान 
यहाँ के 
इन्सान 
वहाँ के 
दिल से दिल जोड़कर चलना चाहते हैं 
लेकिन 
सियासत दान 
इधर के 
या 
सियासत दान 
उधर के 
इन्सान नहीं हैवान होते हैं 
सियासत दान 
लोगों को बांटकर 
लोगों के दिलों को काटकर 
अपना उल्लू सीधा करते हैं 
और 
ये इन्सान  यहाँ के 
या फिर 
इन्सान  वहाँ के 
बस 
दिल मसोसकर 
रह जाते हैं 
और 
सियसत दान 
दोनों तरफ के 
अपनी अपनी 
सियासती  रोटियां 
सेकते रहते हैं