वाह महंगाई
इस बदती महंगाई
से
बहुत जल्द
आम आदमी
आम के भाव में
गुठली
खाना सीख जायेगा
शुक्रवार, 23 सितंबर 2011
गुरुवार, 22 सितंबर 2011
टोबा टेकसिंग
मंटो का बिशन
टोबा टेकसिंग वाला बिशन
ऐसा लगता है
कि
मैं ही वो बिशन था
मेरे दिल ने तब भी
विभाजन
स्वीकार नहीं किया था
मेरा दिल अब भी
विभाजन को नहीं मानता
फर्क
सिर्फ इतना है
तब मैं कहता रहता था
ओ पड़दी गिद गिड दी
मुंग दी दाल दी ऑफ़ लालटेन
तब लोग
उसे बडबडाना कहते थे
लोग कहते थें
मुरख है
और अब
मैं बोलते बोलते चुप हो जाता हूँ
बोल नहीं पाता
लोग कह नहीं पाते हैं
समझते हैं कि मूर्ख है
तब का बडबडाना जो कुछ भी था
अब कि चुप्पी कुछ भी है
विभाजन तब भी गलत था
विभाजन अब भी गलत है
टोबा टेकसिंग वाला बिशन
ऐसा लगता है
कि
मैं ही वो बिशन था
मेरे दिल ने तब भी
विभाजन
स्वीकार नहीं किया था
मेरा दिल अब भी
विभाजन को नहीं मानता
फर्क
सिर्फ इतना है
तब मैं कहता रहता था
ओ पड़दी गिद गिड दी
मुंग दी दाल दी ऑफ़ लालटेन
तब लोग
उसे बडबडाना कहते थे
लोग कहते थें
मुरख है
और अब
मैं बोलते बोलते चुप हो जाता हूँ
बोल नहीं पाता
लोग कह नहीं पाते हैं
समझते हैं कि मूर्ख है
तब का बडबडाना जो कुछ भी था
अब कि चुप्पी कुछ भी है
विभाजन तब भी गलत था
विभाजन अब भी गलत है
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