शुक्रवार, 31 दिसंबर 2010

नवागत वर्ष

हर  वर्ष कि तरह
यह वर्ष भी जा रहा है
हर वर्ष कि तरह
वो नव वर्ष भी आ रहा है

वर्षों से
हर वर्ष के अंतिम दिन
वर्ष पुराना ख़त्म हो जाता है
हर वर्ष के प्रथम दिन
वर्ष नया आरम्भ हो जाता है

वर्षों से
वर्ष चले आते है
वर्षों से
वर्ष चले आते हैं

यों ही बस
पुराने का जाना
और
नए का आना
लगा रहा है
लगा रहेगा

शनिवार, 25 दिसंबर 2010

प्यार की खातिर

जब कोई किसी से प्यार करता है
तो
लाभ हानि का खाता नहीं बनाता है

प्यार दिल से करता है
प्रियतम के लिए जीता है
प्रियतम के  लिए मरता है

क्या है खोना, क्या है पाना
प्रियतम के लिए बस मर मिट जाना

दिल सभी का ल्लोत जाता है
पर खुद तो बस लुट जाता है
प्यार में
प्यार कि खातिर

चाँद पर भ्रष्टाचार

कहते हैं
एक दिन चाँद पर दुनिय बसायेंगे
सोचता हूँ ,
क्या चाँद पर भी ऐसा भ्रष्टाचार होगा ?
क्या चाँद पर भी कलमाड़ी, राजा और बंगारू होंगे?
क्या चाँद पर भी
आदर्श सोसायटी और चारा घोटाले होंगे ?
प्रार्थना तो यही है
कि
कोई भी दुनिया कहीं भी बसाये
ऐसा भ्रष्टाचार वहां न ले जाये