शनिवार, 25 फ़रवरी 2012

खाली हाथ

इस दुनिया में जो हम आते हैं
क्या साथ लेकर आते हैं ?
सभी जानते हैं
समझते हैं
कुछ नहीं लेकर आते हैं
फिर भी
पूरी उमर
वो सब इकट्ठा करने में लगा देते हैं
जिसे
हम सब इसी दुनिया
में
छोड़कर
खाली हाथ चले जाते हैं    

शनिवार, 18 फ़रवरी 2012

सार्थक जीवन



हिना पिस पिस जाती है
किसी और की सुन्दरता के लिए
अदरख कुट कुट जाती है
किसी और के स्वाद के लिए

ऐसे ही जो लोग
कुट जाते हैं, पिस जाते है
दूसरों के लिए
औरों की ख़ुशी के लिए
औरों की भलाई के लिए
वे
अपना जीवन तो जी नहीं पाते हैं
पर
अपना जीवन सार्थक कर जाते हैं 

शनिवार, 11 फ़रवरी 2012

अपनी अपनी दुनिया

इस दुनिया में 
हर शख्श 
अपनी एक अलग दुनिया 
बना लेता है 
और 
उस दुनिया की शतरंज में
कभी राजा ,
कभी  वजीर 
कभी हाथी ,घोडा, ऊंट 
तो 
कभी प्यादा 
बन जाता है 
इस तरह  
हर शख्श 
अपनी अपनी दुनिया  
में 
पूरा जीवन जी जाता है  
अपने हिस्से  की 
ज़िन्दगी  की 
हाला पी जाता है