कविता
शनिवार, 5 मार्च 2016
बोलने की आज़ादी
बोलने की आज़ादी
है
बोलिये
लेकिन
बड़बोला मत बोलिए
बोलिए वही
जो इन्सान को शोभा देता है
बोलने की आज़ादी
है
बोलिये
लेकिन
बोलने की आज़ादी
के नाम पर
अपनी माँ को
अपनी जन्मभूमि
को
गाली तो मत दीजिये
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