कविता
शनिवार, 12 नवंबर 2016
सब सहना है
इस दुनिया में रहना है
तो
सब कुछ सहना है
आप जो भी कहेंगे
आप जो भी करेंगे
लोगों को कुछ न कुछ कहना है
इस दिया में रहना है
तो
सब कुछ सहना है
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