कविता
मंगलवार, 15 जुलाई 2008
ईश्वर
ईश्वर की महिमा अपरम्पार है
सबकी सांसों पर उसका पूरा अधिकार है
हम सब महज कठपुतलियां और
वो इन सभी कठपुतलियों को नाचने वाला महान कलाकार है
वर्ष का आना वर्ष का जाना
वर्ष आता है
वर्ष चला जाता है
कोई खुशियाँ मनाता है
कोई रोता रह जाता है
हर वर्ष
किसी को कुछ देता है
किसी से कुछ लेता है
हर वर्ष
कोई कुछ पाता है
कोई कुछ खोता है
वर्ष प्रति वर्ष
यही चलता रहा है
यही चलता रहेगा
हर वर्ष
कोई कुछ लिखता रहेगा
कोई कुछ पड़ता रहेगा
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