दो हजार ग्यारह
हुआ नौ दो ग्यारह
कहीं लाया खुशियाँ ही खुशियाँ
कहीं छोड़ गया सिर्फ गम ही गम
दो हजार बारह आया है
देखना है
अपने पिटारे में
क्या क्या भरके लाया है
सोचना क्या
जो भी होगा देखा जायेगा
अभी तो बस यही शुभेच्छा है
दो हज़ा बारह
में
सबकी हो पौ बारह
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