कविता
मंगलवार, 20 अगस्त 2013
रूपया
अब तक सुनते थे
आदमी गिर जाता है
रुपये
को पाने के लिए
लेकिन
अब तो
रूपया
भी गिरता जा रहा है
बेचारा आदमी क्या करेगा
करेगा क्या
आदमी और गिर जायेगा
और
रूपया
पाने के लिए
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