एक दिन
मुझे क्यों कर सूझा
कि
वक़्त
जो भागा जा रहा है
इसे
पकड़कर रख लिया जाए
अब
प्रश्न आया कि
भागते वक्त को पकड़ा कैसे जाए
सोचा
दौड़कर पकड़ ही लूँगा
और
मैं
दौड़ पढ़ा
वक्त को पकड़ने को
मैं
दौड़ दौड़ कर
थक गया परेशान हो गया
पर वक्त को
पकड़ना तो दूर
छू भी नहीं पाया
जाता हुआ
वक्त किसी का हुआ है
कभी कोई वक्त को पकड़ पाया है
वक्त तो वक्त है
जो इसकी क़द्र करता है
सब उसकी क़द्र करते हैं
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