गुरुवार, 9 अक्तूबर 2008

भारत - पाकिस्तान

भारत हो या पाकिस्तान
सिंध हो या राजस्थान
सब कुछ एक सा ही लगता है
फर्क सिर्फ़ इतना है - -
यहां हिंदू ज़्यादा हैं और वहां मुस्लमान
पर
हैं तो ये भी इन्सान और वो भी इन्सान
यहाँ भी दीवाली और ईद पर है जश्न
वहां भी ईद और दीवाली जश्न ही जश्न
यहाँ भी पकते है पकवान
वहां भी पकते हैं पकवान
फिर क्यों हमारे लीडरान
हमें बाँट- बाँट कर करते हैं परेशान
यदि दोनों देशों में हो जाए शान्ति
पूरी दुनिया में हो जाए क्रांति

इंसानियत

मैंने पूछा
आप कौन है , क्या करते हैं
जवाब मिला
मैं डॉक्टर हूँ डाक्टरी करता हूँ

दूसरे से पूछा तो जवाब मिला
मैं वकील हूँ वकालत करता हूँ

तीसरे ने कहा
मैं व्यापारी हूँ व्यापार करता हूँ

अगले ने कहा
मैं खिलाडी हूँ, सिर्फ़ खेलता हूँ

फिर उसके बाद
मैं अभिनेता हूँ, अभिनय करता हूँ

बहुत खोजा
और बहुतेरे मिले भी

नहीं मिला तो बस एक
सिर्फ़ एक
जो यह कहता -
मैं तो सिर्फ़ इन्सान हूँ
और बस
इंसानियत ही करता हूँ


बुधवार, 8 अक्तूबर 2008

आदमी के ख्याल

मैं यह करूँगा, मैं वह करूँगा
मैं यह बनूँगा, मैं वह बनूँगा
यह मेरा है, वह मेरा है
सब महज
महज ख्याल हैं आदमी के

सत्य केवल वही है
जो
"उसे" मंजूर है
वह चाहे तो
बस एक पल में
सब कुछ बदल दे
अमीर को गरीब
गरीब को अमीर
राजा को रंक और
रंक को राजा कर दे

शनिवार, 4 अक्तूबर 2008

कल आज और कल

जो कल कल था
वह आज हमारा नहीं रहा
जो आज आज है
वह कल हमारा नहीं रहेगा
जो कल कल आएगा
वह भी आज हमारा नहीं है

फिर क्यों हम विगत और आगत की चिंता में
सब कुछ खो रहें है
जागते हुए भी ऐसा लगता है
की
हम तो बस सो रहे है

ज़िन्दगी और रेल

समय गुज़र रहा है
जैसे बम्बई की लोकल रेल
आदमी चल रहा है
जैसे धीमी गति की कोई रेल
ज़िन्दगी गुज़र रही है ऐसे
जैसे - प्लेटफोर्म का हो यह खेल

ईसा और इंसा

ईसा ने बनाया इन्सा को
इन्सा ख़ुद ईसा बन बैठा
काश
इन्सा ईसा बनने की बजाय
महज
एक अच्छा इन्सान बन पाता

गुरुवार, 2 अक्तूबर 2008

आतंकवाद

आतंकवाद
अब भारत की आदत सी हो गयी है
जैसे रोज़
हम भ्रष्टाचार के साथ जीते हैं
वैसे ही अब
हमें आतंकवाद के साथ जीने की आदत सी होने लगी है
अगली बार जब कहीं भी बम फटेगा
हम सब जानने लगें हैं की क्या होगा
अख़बार लिखेंगे
"फलां "जगह सीरियल ब्लास्ट
उनीस मरे, उन्सठ घायल
टीवी चैनल चिलायेंगे
जयपुर अहमदाबाद बंगलोर
हैदराबाद मुंबई और दिल्ली के बाद
"फलां" जगह सीरियल ब्लास्ट
गृह मंत्री कहेंगे - हमने राज्य सरकार को आगाह किया था
प्रधान मंत्री कहेंगे -
हम आतंकवाद का डटकर मुकाबला करेंगे
विपक्ष कहेगा पोता लगना चाहिए
सब अपना अपना राग अलापेंगे
किंतु
जिन परिवारों ने अपना कोई खोया है उसे कोई नहीं यद् करेगा
और हम सबकी जिंदगी
जस की तस् चलती रहेगी

दो या तीन बस

बीजिंग ओल्य्म्पिक में
भारत की भी गयी टीम
मुक्केबाज और कुश्तीबाज
तीरंदाज और निशानेबाज
गए तो बहुत सारे पर
पदक लाये सिर्फ़ तीन
एक सोना और दो कांसा
पत्रकार ने पूछा
खिलाड़ी तो इतने सारे पर पदक सिर्फ़ तीन ऐसा क्यों
जवाब मिला
पहले हम कहते थे
बेटा हो या बेटी दो या तीन बस
ऐसे ही सोना हो या कांसा
पदक दो या तीन बस