कविता
मंगलवार, 4 अक्तूबर 2011
अपना या सपना
लोगों से
मिलते रहने
से
पता तो चलता है
कि
कौन कैसा है ?
कौन अपना है
और
कौन महज सपना है
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें