कविता
शनिवार, 8 अक्तूबर 2011
समय परिवर्तन
पहले
लोगों के घरों पे
आदमी खड़े होते थे
कि
कहीं कोई कुत्ता न आ जाये
अब
लोगों के घरों पे
कुत्ते खड़े रहते हैं
कि
कहीं कोई आदमी न आ जाये
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