प्रकृति का बदला
इंसान
को
सब कुछ देती है
पर
इंसान
अपने लालच में
प्रकृति
को भी नहीं छोड़ता है
इंसान
ने
जब जब
प्रकृति
को
छेड़ा है
प्रकृति
ने भी
इंसान
को कहाँ छोड़ा है
प्रकृति पहले चेताती है
पर
इंसान नहीं मानता है
तो
अपना बदला लेना भी जानती है
और
जब बदला लेती है
तो
किसी
एक
इंसान
की गलती
की
सजा
कोई
दूसरा
इंसान
क्यों
पाता
है
समझ में नहीं आता है
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