कुछ पन्ने ज़िन्दगी के
इतने अच्छे हैं
कि
बार बार पढ़ने का मन करता है
कुछ पन्ने ज़िन्दगी के
इतने बुरे हैं
कि
पढ़ने का मन तो करता ही नहीं
बल्कि
फाड़ देने को जी करता हैं
कुछ पन्ने ज़िन्दगी के ऐसे
कि
लिखे ही न जा सके
जब भी नज़र पड़े
हमेशा कोरे ही दीखते हैं
कुछ पन्ने ज़िन्दगी के ऐसे
कि
कभी लगता है
कि क्या
वो हमारी ही ज़िन्दगी के पन्ने हैं
जाने पहचाने होते हुए भी
हमेशा अनजाने से ही लगते हैं
कुछ अच्छे कुछ बुरे
कुछ भरे कुछ कोरे
कुछ जाने कुछ अनजाने
ऐसे ही पन्नों
से
ज़िन्दगी की किताब
पूरी हो जाती है
और
रह जाता है
बहुत कुछ
अनलिखा अनपढ़ा
अनसुना अनगढ़ा
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