रविवार, 14 दिसंबर 2014

जो जीता वही सिकन्दर


कल की ही बात है
एक दोस्त ने दूसरे से मेवाड़ी में कहा
"गेला कदी नी थाके "
दिल को छू गया
मतलब है
रास्ते जिन पर हम चलते हैं
कभी थकते नहीं है
हाँ
हम चलने वाले राहगीर
अक्सर थक जाया करते हैं
जो थक कर हार जाते हैं
वे पीछे छूट जाते हैं
जो थक कर
थोड़ा आराम कर
फिर आगे बढ़ जाते हैं
वे भी देर सवेर
मंज़िल पर पहुँच ही जाते हैं
और
जो कभी थकते ही नहीं
बस चलते चले जाते हैं
अपनी मंज़िल पर पहुंचकर
सबसे जीत जाते हैं
और
जो जीता वही सिकन्दर
कहलाते हैं

कोई टिप्पणी नहीं: