शनिवार, 20 दिसंबर 2014

इन्सान



दुनिया बनाने वाले ने
जब भी दुनिया बनाई
बड़े
सोच समझकर
अच्छी भली दुनिया बनाई

सुन्दर सुन्दर पक्षी
अच्छे भले जानवर
और
सबसे समझदार
इन्सान

सारे पशु पक्षी
छोटे बड़े जानवर
यहां तक कि
खूंखार से खूंखार
जानवर भी
एक दूसरे के साथ
आराम से शान्ति से रह लेते हैं

लेकिन
इन्सान  ने तो अपनी मर्ज़ी से
अपनी एक नयी दुनिया ही बना डाली
इन्सान  ने अपनी दुनिया को ऐसा बांटा
कि
इन्सान  से इन्सान ही बँट गया
कहीं
मुल्कों की सरहदें हैं
तो कहीं
रियासतो  की सरहदें हैं
कहीं
मजहबों का
कहीं सम्प्रदायों का
बँटवारा है
तो
कहीं
इन्सान
भाषा से बंटा है

और
इस बँटवारे से
इन्सान
ऐसा हो गया
कि
अपनी पहचान
देश से
रियासत से
मज़हब से
सम्प्रदाय  से
भाषा  से
तो
करवाता है
पर
कहीं भी इन्सान
इन्सान  की तरह अपनी पहचान
नहीं करवा पाता है


काश
हम इतनी  बड़ी दुनिया में
सिर्फ इन्सानों  की
एक अच्छी
दुनिया बना पाते





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