आपने कभी अपने आपको
आईने में देखा है
आपका दाहिना हाथ
आईने में
आप ही का बायाँ हाथ क्यों हो जाता है
आप ही का बायाँ हाथ
आप ही का दाहिना हाथ क्यों हो जाता है
क्योंकि
वो बार बार आपसे कहता है
ऐ दोस्त
कहाँ सिर्फ बाहर ही बाहर
अपने दोस्त ढूंढ़ता है
एक बार अपने लिए
अपना हाथ बढ़ाकर तो देख
सिर्फ एक बार
अपने को
अपना ही
दोस्त बनाकर तो देख
लेकिन
हम हैं कि
रोज़
सबकी ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाते चले जाते हैं
और
अपने आपको भुलाये चले जाते हैं
आज फिर एक मौका है
जब भी आइना देखे
आईने की बात मानकर देखे
एक बार सिर्फ एक बार
अपने आपको
अपना
दोस्त बनाकर तो देखिये
ज़िन्दगी जीने
का
अंदाज़ ही बदल जायेगा
आईने में देखा है
आपका दाहिना हाथ
आईने में
आप ही का बायाँ हाथ क्यों हो जाता है
आप ही का बायाँ हाथ
आप ही का दाहिना हाथ क्यों हो जाता है
क्योंकि
वो बार बार आपसे कहता है
ऐ दोस्त
कहाँ सिर्फ बाहर ही बाहर
अपने दोस्त ढूंढ़ता है
एक बार अपने लिए
अपना हाथ बढ़ाकर तो देख
सिर्फ एक बार
अपने को
अपना ही
दोस्त बनाकर तो देख
लेकिन
हम हैं कि
रोज़
सबकी ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाते चले जाते हैं
और
अपने आपको भुलाये चले जाते हैं
आज फिर एक मौका है
जब भी आइना देखे
आईने की बात मानकर देखे
एक बार सिर्फ एक बार
अपने आपको
अपना
दोस्त बनाकर तो देखिये
ज़िन्दगी जीने
का
अंदाज़ ही बदल जायेगा
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