कविता
गुरुवार, 10 फ़रवरी 2011
प्रार्थना
प्रार्थना
प्रार्थना जब भी करें
जिससे भी करें
जैसे भी करें
शब्दों की ज़रूरत नहीं
मन से हो जाती है
मन से ही की जाती है
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