कविता
शनिवार, 19 फ़रवरी 2011
प्रेम दीवाना
प्रेम जब कहीं भी
किसी को भी
किसी से भी हो जाता है
दिल बेचारा कुछ नहीं कर पाता है
बस खो जाता है
दिल तो खो जाता है
और फिर
इंसान इंसान नहीं रह जाता
बस दीवाना हो जाता है
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