कुछ लोग
अक्सर लोगों को
सही पहचान नहीं पाते हैं
जिन्हें वे अपना समझते हैं
जिनके लिए वे जान पर खेल जाते हैं
वे लोग ही पराये निकलते हैं
बस
अपना बनकर
और
अपना बनाकर
महज
अपना काम निकलते हैं
और फिर
इस तरह छोड़ जातें हैं
जैसे
कोई कामुक पुरुष
अपनी क्षुधा शांत कर
वेश्या को छोड़ जाता है
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