कविता
सोमवार, 22 फ़रवरी 2010
मन
आप जो भी करें
अच्छा या बुरा
आपका मन सब जनता है
आप किसी से कुछ भी छुपाए
मन से कुछ नहीं छिपा पाएंगे
आप दुनिय से कितनी भी दूर भाग जाएँ
मन से कहीं भाग नहीं पायेंगे
आप कहीं भी जायेंगे
अपने मन को हमेश अपने ही साथ ही पाएंगे
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें