क्यों हर इन्सान
बचे से
बड़ा होने को आतुर रहता है
क्यों जल्दी बचपन छोड़कर
बड़ा होना चाहता है
जबकि जनता है
कि
बड़े होकर जिमेदारियां ओदनी पड़ेंगी
और
जब बड़ा हो जाता है
तो
बस कहता ही रहता है
कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन
या फिर
गिव मी सम सन शाइन
गिव में सम रेन
गिव मी अनादर चांस
आई वांट तो ग्रो अप वंस अगेन
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें