कविता
शनिवार, 20 फ़रवरी 2010
कबूतर या गिद्ध
लोग
चेहरे पर चेहरा लगते हैं
ऊपर से
प्यार, प्रेम, अपनत्व
जताते हैं
लेकिन वास्तव में
सिर्फ अपना स्वार्थ
सिद्ध करते हैं
ना जाने
क्यों भूल जाते हैं
कि
बनावटी चेहरा
जब हट जायेगा
कबूतर के पीछे छिपा गिद्ध
सबको नज़र आ ही जायेगा
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