सोमवार, 22 फ़रवरी 2010

आदमी खुदा

आदमी
अपने इर्द गिर्द
कुछ लोगों को पाकर
खुद को
" खुदा" समझने लगता है

क्यों भूल जाता है
कि
खुदा तब भी था
जब वह खुद नहीं था
खुदा तब भी रहेगा
जब वह खुद भी नहीं रहेगा

1 टिप्पणी:

Dr. kavita 'kiran' (poetess) ने कहा…

Aapki sabhi kavitayen bahut hi achhi hain. zameen se judi hui aur manveey samvednaon ko ukerti hui.i appriciate it. congrats.